सप्तामृत लौह टैबलेट या पाउडर के रूप में आयुर्वेदिक दवा है जो मुख्य रूप से आखों के विकारों, गैस ,मन्दाग्नि आदि के उपचार में उपयोग किया जाता है। इसमें लौह भस्म मुख्य घटक होता है।
सप्तामृत लौह के फायदे ,गुण और उपयोग :
1- यह सब प्रकार के नेत्र रोगों की खास दवा है। इसके सेवन से दृष्टि-शक्ति की कमी, आँखों की लाली, आँखों में खाज होना, ऑखों के आगे अन्धेरा होना आदि विकार और नेत्र रोग अच्छे हो जाते हैं।
2- इसके सेवन से दस्त साफ आता है, अग्नि (जठराग्नि) प्रदीप्त होती है ।
3- लौह का प्रधान मिश्रण होने के कारण यह औषध रक्त को भी बढ़ाती है।
4- इसको महात्रिफला घृत अथवा मधु में मिलाकर नियमित रूप से साल भर सेवन करने से नेत्रों की ज्योति बहुत अच्छी बढ़ जाती है, चष्मा लगने की आवश्यकता भी मिट जाती है। कई रोगीयों की, जिनकी नेत्र-दृष्टि कमजोर होने से चष्मा लगाना पड़ता था, इसके सेवन से नेत्रों की ज्योति बढ़कर चष्मा हटा देने के कई उदाहरण हमने देखें हैं।
5- मधु में मिलाकर नियमित रूप से सेवन करने से केवल नेत्र-रोगों ही नष्ट नहीं होते , बल्कि दाँत, कान और गले से ऊपर उत्पन्न होने वाले रोगों में भी लाभप्रद है।
6- यह अकाल (असमय) में बाल सफेद होने को रोकता है।
7- सप्तामृत लौह पुरानी मन्दाग्नि को भी दूर कर जठराग्नि को प्रदीप्त करता है।
8- इसके सेवन से शरीर में वीर्य शक्ति की वृद्धि होती, मुख की कान्ति अच्छी हो जाती है।
9- इसके सेवन से बाल अत्यन्त काले हो जाते हैं। यह रसायन वृष्य भी है।
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