Description
Trifladi Asava Benefits:-
1 पेट के कीड़ो को खत्म करने में त्रिफला पाउडर खाने से आराम मिलता है. यदि शरीर में रिंगवॉर्म या टेपवॉर्म हो जाते हैं तो भी त्रिफला कारगर है. त्रिफला, शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ावा देता है, जो कि किसी भी संक्रमण से लड़ने में सक्षम होती हैं.
2. त्रिफला, सांस संबंधी रोगों में लाभदायक है और इसका नियमित सेवन करने से सांस लेने में होने वाली असुविधा भी दूर हो जाती है.
3. एक अध्ययन में पता चला है कि त्रिफला से कैंसर का इलाज संभव है और इसमें एंटी-कैंसर तत्व पाए गए हैं.
4. यदि किसी आपको को सिरदर्द की समस्या ज्यादा रहती है तो डॉक्टर की सलाह लेकर त्रिफला का नियमित सेवन करना सिरदर्द को कम करने में मददगार होता है.
5. डायबिटीज के उपचार में त्रिफला बहुत प्रभावी है. यह पेनक्रियाज को उत्तेजित करने में मदद करता है, जिससे इंसुलिन पैदा होता है.
(निसोत) का प्रयोग निम्नलिखित बीमारियों, स्थितियों और लक्षणों के उपचार, नियंत्रण, रोकथाम और सुधार के लिए किया जाता है:
कुटकी
कुटकी के फायदे हैं लिवर के लिए उपयोगी –
यह जड़ीबूटी लिवर सिरोसिस से राहत के लिए उपयोगी होती है। इसकी रूट के पाउडर को लिवर सिरोसिस के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। 1 चम्मच कुटकी को शहद के साथ मिलाकर दिन में 3 बार इस्तेमाल करना चाहिए।
कुटकी के लाभ करें पीलिया का इलाज
कुटकी सभी आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग की जाने वाली प्रमुख और आवश्यक घटक है जो पीलिया के इलाज के लिए भी उपयोग की जाती है। आमतौर पर, कुटकी के एक या दो चम्मच पाउडर को पानी के साथ पीलिया के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। साथ ही धनिया पाउडर और गुड़ को मिक्स करके लड्डू बनाएँ और दिन में 2 बार खाएं। इससे पीलिया 3-4 दिनों में ही ठीक हो जाता है।
कुटकी के गुण हैं कब्ज में सहायक
यह कब्ज की समस्या का इलाज करने में भी बहुत सहायक है। कब्ज के लिए यह शहद के साथ मिलाकर दिन में लगभग 6 बार ली जाती है। इसके अलावा यह अपच के इलाज के लिए कुटकी बहुत मददगार होती है। यह गैस्ट्रिक रस का स्राव बढ़ाती है। यह भूख में सुधार करती है। यह पेट को मजबूत करके अपच के विभिन्न कार्यों को बढ़ावा देने में मदद करती है।
कुटकी का उपयोग है जलोदर में लाभकारी
जलोदर या पेट में पानी भरने के इलाज के लिए इसका उपयोग किया जाता है। 50 ग्राम कुटकी को 200 मिलीलीटर पानी में उबाल लें और सुबह-शाम इसका सेवन करें।
कुटकी का लाभ उठाए बुखार के लिए
पित्त कफ असंतुलन की वजह से बुखार में भारीपन, आंतरिक जलन, सिरदर्द आदि महसूस होता है। कुटकी में जीवाणुरोधी और एंटीवायरल गुण होते हैं, जिसके कारण इसे बहुत अधिक प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है।
जवाखार
जवाखार सूजन और कफ को शान्त करता है, पेशाब को जारी रखता है और दस्तों को दूर करता है।
विभिन्न रोगों में उपयोग :
1. मूत्राघात:
2. मलेरिया का बुखार:
3. बुखार:
4. मुंह का रोग:
5. हिचकी का रोग:
6. मक्कल शूल:
7. गुर्दे के रोग:
अमलतास
बुखार
खांसी
गंठिया
दाद
कामला (पीलिया)
रोग में शीघ्र लाभ होता है।
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