Description
Vanga Bhasma Benefits:-
वंग भस्म क्या है
भस्म अद्वितीय आयुर्वेदिक धातु की तैयारी हैं जिनका उपयोग प्राचीन काल से औषधीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है। यह वे आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन मिश्रण हैं जिनमें पौधे, खनिजों और धातुएं शामिल हैं। यह धातु की हर्बल तैयारी हैं जो लंबे समय तक स्थिर है और कम खुराकमें असर दिखाती हैं।
वंग भस्म को बंग अथवा वंग से तैयार किया जाता है। वंग, टिन का नाम है। टिन से वंग भस्म तक बनने में शोधन, मर्दन और मारण करते है। खनिजों की भस्म क्रिया से ये अपने ऑक्साइड रूप में बदल जाती है। जड़ी बूटियों के इस्तेमाल से यह शरीर में आसानी से अवशोषित हो सकने योग्य हो जाती है।
वंग भस्म के फायदे
बंग भस्म शरीर को पुष्ट करती है तथा अंगों को ताकत देती है। इसे आयुर्वेद में हल्का, दस्तावर, और गर्म माना गया है। यह मुख्य रूप से मूत्र – प्रजनन अंगों, रक्त और फेफड़ों सम्बंधित रोगों में लाभप्रद है। यह पुरुषों के लिए प्रमेह, शुक्रमेह, धातुक्षीणता, वीर्यस्राव, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, नपुंसकता, क्षय आदि में लाभप्रद है। यह टेस्टिकल की सूजन को नष्ट करती है। बंग भस्म इन्द्रिय को सख्ती देती है और वीर्य को गाढ़ा करती है।
यह स्त्रियों के लिए गर्भाशय के दोष, अधिक मासिक जाना, मासिक में दर्द, डिम्ब की कमजोरी आदि में लाभप्रद है। बंग भस्म रक्त के दोषों को दूर करती है।
दूर करे नाईट फॉल स्वप्नदोष की समस्या
सोते हुए यदि वीर्य निकल जाता है तो बंग भस्म का सेवन करना चाहिए। स्वप्नदोष में वंग भस्म को इसबगोल की भूसी के साथ लेना चाहिए। अथवा एक रत्ती वंग भस्म को एक रत्ती प्रवाल पिष्टी, और चार रत्ती कबाब चीनी के चूर्ण में शहद मिलाकर लेना चाहिए।
मदद करे अप्राकृतिक मैथुन की आदत में
हस्त मैथुन, अप्राकृतिक मैथुन की आदत में वंग भस्म को प्रवालपिष्टी और स्वर्णमाक्षिक भस्म के साथ लेने पर लाभ होता है।
मदद करे मर्दाना कमजोरी में
वंग भस्म वातवाहिनी तथा मांसपेशी की कमजोरी दूर कर कर्मेन्द्रिय में सख्ती पैदा करती और शुक्र को भी गाढा कर देती है। वीर्यस्तम्भन के लिए, एक रत्ती बंग भस्म को आधा रत्ती कस्तूरी के साथ देना चाहिए। नपुंसकता में एक रत्ती बंग भस्म को अपामार्ग चूर्ण के साथ लेना चाहिए। अनैच्छिक वीर्यस्राव, शुक्र का पतलापन, स्वप्नदोष, शुक्र की कमजोरी, आदि में वंग भस्म का सेवन मलाई के साथ करना चाहिए।
गाढ़ा करे वीर्य
शुक्र धातु के पतलेपन में बंग भस्म को मूसली चूर्ण के एक महीने तक निरंतर सेवन करना चाहिए।
करे वीर्यस्तम्भन जिससे रति क्रिया अधिक देर तक चले
बंग भस्म २ रत्ती, नाग भस्म १ रत्ती, वंशलोचन चूर्ण ४ रत्ती में मिलाकर अथवा कस्तूरी आधी रत्ती, भांग ४ रत्ती में मिलाकर मक्खन -मिश्री अथवा पान के रस या मधु में मिलाकर दें, पश्चात् औंटाया हुआ दुध पिलावें।
प्रमेह रोगों में करे फायदा
प्रमेह में वंग भस्म को निरंतर एक महीने तक शिलाजीत चार रत्ती, गुडूची सत्व चार रत्ती में मिलाकर शहद के साथ चाटना चाहिए। अथवा एक रत्ती वंग भस्म को चार रत्ती हल्दी चूर्ण और एक रत्ती अभ्रक भस्म के साथ लेना चाहिए। अथवा एक रत्ती बंग भस्म को तुलसी के रस या पेस्ट के साथ के साथ लेना चाहिए।
प्रदर में लाभप्रद
स्त्रियों की सफ़ेद पानी की समस्या, डिम्ब की निर्बलता, इनफर्टिलिटी में इसे शृंग भस्म के साथ मिलाकर दिया जाता है।
श्वेत प्रदर में बंग भस्म को लोह भस्म, शुक्ति भस्म के साथ दिया जाता है। सोम रोग में बंग भस्म १ रत्ती को ताम्र भस्म आधी रत्ती के साथ मधु में मिलाकर दें।
पेशाब रोगों में करे लाभ
वंग भस्म सभी मूत्र विकारों में फायदेमंद है।
ठीक करे पाचन
अग्निमांद्य में इसे दो रत्ती पिप्पली चूर्ण और शहद के साथ लेना चाहिए। अजीर्ण में,बंग भस्म १ रत्ती, लवणभास्कर चूर्ण देड माशा में मिलाकर, गर्म जल के साथ लें।
Additional information
Weight | 0.250 kg |
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